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यूरिया मूल्य नीति

  • वर्तमान में, देश में लगभग 283.74 एलएमटी की संस्थापित वार्षिक क्षमता वाली 36 गैस आधारित यूरिया विनिर्माण इकाईयां हैं।

             यूरिया की एमआरपी भारत सरकार द्वारा सांविधिक रूप से तय की जाती है और वर्तमान में यह यूरिया के 45 किलो की  बोरी के लिए रु. 242 है। जिसमें निजी व्यापारियों/सार्वजनिक उपक्रमों/सहकारिताओं के लिए डीलर मार्जिन के रूप में रु. 354/एमटी शामिल है |  इसके अतिरिक्त प्रोत्साहन के रूप में रु. 50/एमटी एमएफएमएस (आईएफएमएस) में रसीद स्वीकार करने और स्टॉक की रिपोर्ट करने के लिए खुदरा विक्रेताओं को भुगतान किया जाता है। नीम कोटिंग के लिए एमआरपी, करों और शुल्कों से अलग है। फार्म गेट पर उर्वरकों की सुपुर्दगी लागत और किसान द्वारा देय एमआरपी के बीच के अंतर को भारत सरकार द्वारा उर्वरक निर्माता/आयातक को राजसहायता के रूप में दिया जाता है।

  • वर्ष 2003 से यूरिया इकाईयों को राजसहायता भुगतान के संबंध में निम्नलिखित नीतियां लागू हैं:

(i)  नई मूल्य निर्धारण योजना (एनपीएस)-I  दिनांक 01.04.2003 से दिनांक 31.03.2004 की अवधि के लिए।

(ii )   एनपीएस - II दिनांक 01.04.2004 से दिनांक 31.09.2006 की अवधि के लिए।

(iii)    एनपीएस - III दिनांक 01.10.2006 से दिनांक 01.04.2014 की अवधि के लिए।

(iv)   दिनांक 02.04.2014 से दिनांक 31.05.2015 की अवधि के लिए संशोधित एनपीएस-III

  • मौजूदा नीतियां जिनके द्वारा यूरिया इकाईयों को राजसहायता का भुगतान किया जा रहा है, इस प्रकार हैं:
    1. नियत  लागत और परिवर्तनीय लागत अर्थात बोरी, पानी शुल्क और बिजली शुल्क की लागत के मुआवजे के संबंध में एनपीएस-III और संशोधित एनपीएस-III अगले आदेश तक जारी रहेगी।
    2. नई यूरिया नीति-2015 (समय-समय पर संशोधित) (25 गैस आधारित यूरिया इकाईयों के लिए लागू)।
    3. अधिसूचना दिनांक 17 जून, 2015 (समय-समय पर संशोधित) - मद्रास फर्टिलाइजर्स लिमिटेड, मनाली सदर्न पेट्रोकेमिकल्स इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन (एसपीआईसी), तूतीकोरिन और मैंगलोर केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (एमसीएफएल ) के लिए लागू है ।
    4. नई निवेश नीति - 2012 (समय-समय पर संशोधित) - चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड के गढ़ेपन-III संयंत्र, मैटिक्स फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड के पानागढ़ संयंत्र, रामागुंडम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड के रामागुंडम संयंत्र और हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड के गोरखपुर संयंत्र के लिए लागू है ।

नई यूरिया नीति (25 गैस आधारित यूरिया इकाईयों के लिए लागू)

             नई यूरिया नीति-2015 (एनयूपी-2015) को 25 मई, 2015 को उर्वरक विभाग द्वारा अधिसूचित की  गयी  है, जिसे स्वदेशी यूरिया उत्पादन को अधिकतम करने, यूरिया उत्पादन में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने  और सरकार पर राजसहायता के बोझ को युक्तिसंगत बनाने  के उद्देश्य से शुरू में 1 जून, 2015 से 31 मार्च, 2019 तक प्रभावी बनाया गया था ।

              एनयूपी - 2015 के अनुसार, पूर्व की नीतियों के दौरान निर्धारित 25 गैस आधारित यूरिया इकाईयों के लिए पूर्व निर्धारित ऊर्जा मानदंडों को समाप्त कर दिया गया है और वे 1 जून 2015 से 31 मार्च, 2018 तक प्रत्येक समूह के लिए निर्धारित संशोधित ऊर्जा मानदंडों के आधार पर रियायत दर प्राप्त करने के पात्र हैं। जो एनपीएस-III के पूर्व निर्धारित ऊर्जा मानदंडों का सामान्य औसत है और वर्ष 2011-12, 2012-13 और 2013-14 के दौरान प्राप्त औसत वास्तविक ऊर्जा खपत या एनपीएस-III के पूर्व निर्धारित ऊर्जा मानदंडों , जो भी कम हो, का औसत है।

             वर्ष 2018-19 में यूरिया इकाईयों को प्राप्त करने के लिए लक्षित ऊर्जा खपत मानदंड दिए गए थे। समूह- I के लिए, वर्ष 2018-19 के लिए लक्ष्य ऊर्जा मानदंड 5.5 जी कैल /एमटी  है (टाटा केमिकल्स लिमिटेड-बबराला को छोड़कर जिसके लिए NPS-III का मौजूदा पूर्व-निर्धारित ऊर्जा खपत मानदंड यानी 5.417 जी कैल/ एमटी जारी रहेगा)। समूह- II और समूह- III के लिए, वर्ष 2018-19 के लिए लक्षित ऊर्जा खपत मानदंड क्रमशः 6.2 जी कैल / एमटी और 6.5 जी कैल / एमटी रहे हैं।

             अन्य परिवर्तनीय लागत के लिए मुआवजा अर्थात बोरी की लागत, जल शुल्क और बिजली शुल्क और नियत लागत एनपीएस-III (8 मार्च, 2007 को अधिसूचित) और संशोधित एनपीएस-III (2 अप्रैल, 2014) के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार निर्धारित किया जाता है।

  • 100% पुनर्मूल्यांकित क्षमता (आरएसी) तक के उत्पादन के लिए 25 गैस आधारित यूरिया इकाईयां यूरिया के उत्पादन की कुल लागत पाने की हकदार हैं, जिसमें नियत लागत और परिवर्तनीय लागत शामिल है।

            आरएसी से अधिक उत्पादन के लिए, इकाईयां अपनी संबंधित परिवर्तनीय लागत और एक समान प्रति एमटी प्रोत्साहन के लिए पात्र हैं जो सभी स्वदेशी यूरिया इकाईयों की प्रति एमटी नियत लागत के न्यूनतम के बराबर है, जो आयात समता मूल्य और अन्य प्रासंगिक शुल्कों के भारित औसत के अधीन है जो सरकार आयातित यूरिया पर खर्च करती है। हालांकि, 7 अप्रैल, 2017 की अधिसूचना के तहत, 2016-17 के दौरान आरएसी से अधिक यूरिया के उत्पादन के लिए एक और संशोधन शामिल किया गया था, जिस प्रकार इकाईयां अपने संबंधित परिवर्तनीय लागत से अधिक और सभी स्वदेशी यूरिया इकाईयों के प्रति मीट्रिक टन नियत न्यूनतम लागत के बराबर एक समान प्रति मीट्रिक टन प्रोत्साहन की हकदार थी, जो कि आयात समता मूल्य के अन्य प्रासंगिक शुल्कों के योग, जो यूरिया के आयात पर सरकार द्वारा वहन किया जाता है और यूरिया विनिर्माण इकाईयों द्वारा भुगतान किए गए यूरिया के केंद्रीय सरकार करों का भारित औसत है,  के अधीन है । उक्त संशोधन के माध्यम से, यह निर्णय लिया गया है कि आयात समता मूल्य में किसी उतार-चढ़ाव की स्थिति में, जिसका यूरिया इकाईयों द्वारा आरएसी से अधिक उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, तो उर्वरक विभाग व्यय विभाग के परामर्श से उचित निर्णय लेने के लिए अधिकृत है।

             एमएफएल-मनाली, एमसीएफएल -मैंगलोर, एसपीआईसी-तूतीकोर्न, बीवीएफसीएल-नामरूप-II और बीवीएफसीएल -नामरूप-III नामक पांच इकाईयां इस योजना के अंतर्गत नहीं आती हैं क्योंकि ये इकाईयां उस समय देश में गैस पाइपलाइन नेटवर्क से जुड़ी नहीं थीं जब एनयूपी शुरू किया गया था। एनयूपी-2015 के अनुसार, बीवीएफसीएल की नामरूप-II और नामरूप-III इकाईयों को बंद करने का प्रस्ताव है और एक नई उच्च दक्षता वाली इकाई स्थापित की जाएगी, जिसे उनके पुनर्गठन प्रस्ताव के तहत अलग से निपटाया जाएगा। तब तक, ये दोनों इकाईयां संशोधित एनपीएस-III के प्रावधानों के तहत काम कर रही हैं।

             दिनांक 14 मई, 2019 की अधिसूचना द्वारा, एनयूपी-2015 के प्रावधानों को 1 अप्रैल, 2019 से अगले आदेश तक बढ़ा दिया गया है, केवल उन प्रावधानों को छोड़कर जो दिनांक 28 मार्च, 2018 की समसंख्यक अधिसूचना द्वारा पहले ही संशोधित हैं।

नेफ्था आधारित यूरिया इकाईयों के लिए

•              तीन नाफ्था आधारित यूरिया इकाईयाँ, मद्रास फर्टिलाइज़र्स लिमिटेड- मनाली (सीपीएसयू), सदर्न पेट्रोकेमिकल्स इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन (एसपीआईसी) - तूतीकोरिन और मैंगलोर केमिकल्स एंड फ़र्टिलाइज़र्स लिमिटेड (एमसीएफएल) 17 जून, 2015 की नीति अधिसूचना द्वारा शासित हैं, जो इन इकाईयों को गैस की उपलब्धता तक या गैस पाइपलाइन या किसी अन्य माध्यम से जोड़ने तक फीडस्टॉक के रूप में नेफ्था का उपयोग करके यूरिया उत्पादन करने की अनुमति देती  है | नेफ्था आधारित यूरिया इकाईयां निम्नलिखित शर्तों के अनुसार राजसहायता प्राप्त करने की हकदार हैं:-

    1. ये इकाईयां अधिसूचना की तिथि से संशोधित ऊर्जा मानदंडों के आधार पर राजसहायता के लिए पात्र होंगी, जो कि नई मूल्य निर्धारण स्कीम (एनपीएस) - III के पूर्व निर्धारित ऊर्जा मानदंडों का सामान्य औसत और वर्ष 2011-12, 2012-13 और 2013-14 के दौरान प्राप्त न्यूनतम वार्षिक विशिष्ट ऊर्जा खपत या एनपीएस-III के पूर्व निर्धारित ऊर्जा मानदंड, जो भी कम हो, होगी।
    2. इन संयंत्रों के लिए रियायत दर, आरएलएनजी पर राज्य करों (वैट, प्रवेश कर) या नेफ्था / एफओ से यूरिया के उत्पादन की लागत में कटौती के बाद, या एफओ /नेफ्था पर लगाए गए राज्य करों / यूरिया उत्पादन के लिए उपभोग किए गए एफओ (वैट, प्रवेश कर) पर नाफ्था / एफओ, जो भी कम हो, की कटौती के बाद हाल ही में परिवर्तित संयंत्रों को आरएलएनजी की वितरित लागत के भारित औसत के आधार पर निर्धारित की  जाएगी ।
    3. अन्य परिवर्तनीय लागत के लिए मुआवजा अर्थात बोरी की लागत, पानी शुल्क और बिजली शुल्क और नियत लागत एनपीएस-III और संशोधित एनपीएस-III के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार निर्धारित किया जाएगा ।

•              2018-19 से इन तीन इकाईयों के लिए विशिष्ट ऊर्जा खपत मानदंड 6.5 जी कैल / एमटी निर्धारित किया गया था।

  • गैस पाइपलाइन कनेक्टिविटी प्राप्त करने के बाद, एमएफएल-मनाली, एमसीएफएल-मैंगलोर और एसपीआईसी-तूतीकोरिन ने क्रमशः 29 जुलाई, 2019, 12 दिसंबर, 2020 और 13 मार्च, 2021 से प्राकृतिक गैस फीडस्टॉक से यूरिया का उत्पादन शुरू कर दिया है।।

 

नई यूरिया नीति एनयूपी-2015 में संशोधन

             दिनांक 28 मार्च, 2018 की अधिसूचना के द्वारा, उर्वरक विभाग ने सभी यूरिया विनिर्माण इकाईयों (बीवीएफसीएल को छोड़कर) को दिए गए लक्ष्य ऊर्जा मानदंडों के संबंध में निम्नलिखित निर्णयों को मंजूरी दी है:

(i)            11 यूरिया विनिर्माण इकाईयों अर्थात  वाईएफआईएल, एनएफएल-विजयपुर-II, जीआईएल, सीएफसीएल-गडेपन-I और II, इफको-आंवला-II, आरसीएफ-थाल, इफको-कलोल, इफको-आंवला-I, इफको -फूलपुर- I और II के लिए, एनयूपी-2015 के पैरा 3.2 में उल्लिखित लक्ष्य ऊर्जा खपत मानदंड, 1 अप्रैल, 2018 से प्रभावी होंगे।

(ii)           नई यूरिया नीति-2015 के तहत विद्यमान मानदंडों को शेष 14 यूरिया विनिर्माण इकाईयों यथा एनएफएल विजयपुर-I, कृभको-हजीरा, केएफएल-शाहजहांपुर, एनएफसीएल-काकीनाडा-I, एनएफसीएल-काकीनाडा-II, जीएनएफसी-भरूचम जीएसएफसी-वड़ोदरा, एनएफएल-बठिंडा, एनएफएल-नंगल, एनएफएल-पानीपत, एसएफसी-कोटा, केएफसीएल-कानपुर, आरसीएफ ट्रॉम्बे-वी, जेडएसीएल-गोवा के लिए इसके द्वारा 2 साल की अवधि के लिए यानी 31 मार्च, 2020 तक निम्नलिखित जुर्माना के साथ बढ़ा दिया गया है:

(क)          पहले वर्ष यानी 2018-19 के लिए एनयूपी ऊर्जा मानदंडों और एनयूपी-2015 के लक्ष्य ऊर्जा मानदंडों के बीच अंतर के 2% ऊर्जा के बराबर जुर्माना।

(ख)          दूसरे वर्ष यानी 2019-20 के लिए एनयूपी ऊर्जा मानदंडों और एनयूपी-2015 के लक्ष्य ऊर्जा मानदंडों के बीच अंतर के 5% ऊर्जा के बराबर जुर्माना।

(ग)           यूरिया विनिर्माण इकाईयों को 2018-19 से 2019-20 की विस्तारित अवधि के दौरान लक्ष्य ऊर्जा मानदंडों को प्राप्त कर लेना चाहिए, जिसके विफल रहने पर व्यय विभाग के परामर्श से चूक करने वाली इकाईयों पर अतिरिक्त जुर्माना लगाया जा सकता है।

(iii)          उपर्युक्त लक्ष्य ऊर्जा मानदंडों को 31 मार्च, 2025 तक जारी रखा जा सकता है। इस बीच, 01 अप्रैल, 2025 से प्राप्त किए जाने वाले ऊर्जा मानदंडों की सिफारिश करने के लिए नीति आयोग के तहत एक विशेषज्ञ निकाय को नियुक्त किया जाएगा।

(iv)          नेफ्था आधारित तीन यूरिया इकाईयों अर्थात एमएफएल, एमसीएफएल, एसपीआईसी को भी 17 जून, 2015 की नीति अधिसूचना के पैरा (2) के तहत मौजूदा ऊर्जा मानदंडों को अगले दो वर्षों के लिए यानी 31 मार्च, 2020 तक या इन इकाईयों को गैस पाइपलाइन कनेक्टिविटी मिलने तक, जो भी पहले हो, की अनुमति है। दिनांक 8 मार्च, 2007 की एनपीएस-III नीति के पैरा 3 (viii) और 5 (ii) के अनुसार गैस पाइपलाइन कनेक्टिविटी की तिथि से 5 वर्ष की नियत  अवधि के लिए ऊर्जा दक्षता की कोई मॉपिंग अप नहीं होगी।

•              इसके बाद, दिनांक 7 जुलाई, 2020 की अधिसूचना द्वारा, उपरोक्त पैरा (ii) में उल्लिखित 14 यूरिया इकाईयों के मौजूदा ऊर्जा मानदंडों को दिनांक 30.09.2020 तक बढ़ा दिया गया है, जिसमें एनयूपी ऊर्जा मानदंडों और एनयूपी-2015 के लक्ष्य ऊर्जा मानदंडों के बीच ऊर्जा अंतर के 10% के बराबर जुर्माना लगाया गया है।

  • इसके अलावा, दिनांक 18 नवंबर, 2022 की अधिसूचना के अनुसार, डीओएफ ने सीसीईए के अनुमोदन को निम्नानुसार अधिसूचित किया है:

i)             7 जुलाई, 2020 की अधिसूचना के प्रावधानों को कृभको-हजीरा, एनएफएल-विजयपुर-I, एनएफसीएल-काकीनाडा-I, केएफएल-शाहजहांपुर, एनएफसीएल-काकीनाडा-II, जीएनएफसी-भरूच, जीएसएफसी-वड़ोदरा, केएफसीएल-कानपुर, एसएफसी-कोटा, आरसीएफ-ट्रॉम्बे-वी, जेडएसीएल-गोवा, एनएफएल-नंगल, एनएफएल-बठिंडा और एनएफएल-पानीपत जैसी 14 यूरिया विनिर्माण इकाईयों के लिए 1 अक्टूबर, 2020 से 30 सितंबर, 2022 तक एनयूपी ऊर्जा मानदंडों और एनयूपी -2015 के लक्ष्य ऊर्जा मानदंडों के बीच अंतर के 10% ऊर्जा के बराबर जुर्माना के साथ 30 सितंबर, 2022 तक या जब तक इकाईयां लक्ष्य ऊर्जा मानदंड (टीईएन) हासिल नहीं कर लेतीं हैं), जो भी पहले हो,  तक  विस्तार किया गया।

(ii)           उन सभी इकाईयों पर 2% का अतिरिक्त जुर्माना लगाया जाएगा जो दिनांक 1 अक्टूबर, 2022 से टीईएन अनुपालन नहीं कर रही हैं।  पहले लगाए गए जुर्माने के साथ यह अतिरिक्त जुर्माना 31 मार्च, 2023 तक प्रभावी रहेगा, जिस तारीख तक सभी इकाईयों को अनिवार्य रूप से TEN का अनुपालन करना चाहिए और आगे किसी विस्तार की अनुमति नहीं दी जाएगी।

(iii)          यदि कृभको-हजीरा, एनएफसीएल-काकीनाडा-I, एनएफसीएल-काकीनाडा-II, जीएसएफसी-वडोदरा, आरसीएफ-ट्रॉम्बे-वी और जेडएसीएल-गोवा नामक छह यूरिया विनिर्माण इकाईयां  (8 यूरिया विनिर्माण इकाईयों को छोड़कर जो या तो ईएसएस को सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया है या ऊर्जा के मिश्रण के रूप में कोयले का उपयोग करने की अनुमति दी जा रही है) 31 मार्च, 2023 की विस्तारित समय-सीमा तक भी टीईएन को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं,  तो उर्वरक विभाग गहन जांच के बाद व्यय विभाग के विचार के लिए एक प्रस्ताव पेश करेगा और उक्त प्रस्ताव की जांच उसकी गुणवत्ता  के आधार पर की जाएगी।

नई निवेश नीति - 2012

•              सरकार ने 2 जनवरी, 2013 को नई निवेश नीति-2012 को अधिसूचित किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य नए निवेश को सुविधाजनक बनाना, भारत को आत्मनिर्भर बनाना और यूरिया क्षेत्र में आयात निर्भरता को कम करना है। एनआईपी-2012 की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:-

  1. नीति गैस आधारित संयंत्रों का समर्थन करती है।
  2. इसका संरचनात्मक ढांचा लचीला  है, जिसके अधिकतम मूल्य की गणना गैस के सुपुर्दगी मूल्य 6.5 यूएस डॉलर से 14 यूएस डॉलर/एमएमबीटीयू पर की जाती है।
  3. न्यूनतम मूल्य 12% के  साम्या (इक्विटी) रिटर्न (आरओई) पर और अधिकतम मूल्य 20% आरओई पर निर्धारित किया गया है।
  4. ग्रीनफील्ड/पुनरुद्धार और ब्राउनफील्ड परियोजनाओं के लिए, सुपुर्दगी गैस की कीमत में वृद्धि के साथ न्यूनतम और अधिकतम  में वृद्धि होगी यानी सुपुर्दगी गैस की कीमत में प्रत्येक यूएसडी 0.1/एमएमबीटीयू वृद्धि यूएसडी14/एमएमबीटीयू तक के सुपुर्दगी गैस मूल्य तक न्यूनतम और अधिकतम यूएसडी 2/एमटी तक बढ़ जाएगी।
  5. 14 अमेरिकी डॉलर/एमएमबीटीयू के सुपुर्दगी गैस मूल्य के बाद, केवल न्यूनतम सीमा बढ़ाई जाएगी।
  6. पुनरुथान परियोजनाओं के लिए, न्यूनतम और अधिकतम को 7.5 अमेरिकी डॉलर/एमएमबीटीयू के सुपुर्दगी गैस मूल्य से जोड़ा गया है और 0.1/एमएमबीटीयू के सुपुर्दगी गैस मूल्य में प्रत्येक वृद्धि के लिए न्यूनतम और अधिकतम में यूएसडी 2.2/एमटी की वृद्धि होगी।
  7. यह बंद इकाईयों के पुनरुद्धार का समर्थन करती है।
  8. यह संसाधन समृद्ध देशों में विदेश में संयुक्त उद्यम में भारतीय उद्योग द्वारा निवेश को प्रोत्साहित करती है |
  9. उत्तर पूर्वी राज्यों में इकाईयों के लिए, भारत सरकार / राज्य सरकारों द्वारा बढ़ाई जा रही गैस की कीमत के संबंध में विशेष छूट किसी भी नए निवेश के लिए उपलब्ध होगी। वित्त मंत्रालय के अनुमोदन के अधीन सुपुर्दगी मूल्य (विशेष छूट के लिए अनुमति देने के बाद) यूएसडी 6.5 प्रति एमएमबीटीयू से कम होने की स्थिति में लागू न्यूनतम और अधिकतम मूल्य के लिए उपयुक्त समायोजन किया जाएगा।

 

एनआईपी-2012 में संशोधन

•              नई निवेश नीति-2012 (एनआईपी-2012) में दिनांक 7 अक्टूबर, 2014 की अधिसूचना द्वारा निम्नलिखित संशोधन किए गए हैं:-

(i)            एनआईपी-2012 के पैरा 8.1 को निम्नानुसार बदला गया है:

'केवल वे इकाईयां, जिनका उत्पादन इस संशोधित अधिसूचना की तारीख से पांच साल के भीतर शुरू होता है, नीति के तहत शामिल होगी । उत्पादन शुरू होने की तारीख से 8 साल की अवधि के लिए वर्तमान में घरेलू बिक्री पर ही राजसहायता दी जाएगी। इसके बाद, इकाईयाँ उस समय प्रचलित यूरिया नीति द्वारा शासित होंगी।'

(ii)           एनआईपी-2012 के तहत परियोजना प्रस्तावकों की गंभीरता/विश्वसनीयता सुनिश्चित करने और परियोजनाओं के समय पर निष्पादन के लिए, सभी परियोजना प्रस्तावकों को प्रत्येक परियोजना के लिए रु 300 करोड़ की बैंक गारंटी (बीजी) प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी। बैंक गारंटी (बीजी) को परियोजना चक्र में माईल स्टोन से जोड़ा जाएगा। 300 करोड़ रुपये में से एलएसटीके/ईपीसीए ठेकेदारों को अंतिम रूप देने और ठेकेदार के खाते में अग्रिम जारी करने के बाद बीजी के 100 करोड़ रुपये जारी किए जाएंगे; बीजी के 100 करोड़ रुपये उपकरण ऑर्डर पूरा होने और साइट या परियोजना चक्र के मध्य बिंदु पर आपूर्ति करने पर जारी किए जाएंगे, जो भी पहले हो; और बीजी के 100 करोड़ रुपये की शेष राशि परियोजना के पूरा होने पर जारी की जाएगी | हालांकि, पीएसयू को बीजी प्रस्तुत करने से छूट दी गई है।

(iii)          विभिन्न मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए सचिव (उर्वरक) की अध्यक्षता में, सचिव (व्यय विभाग), सचिव (एमओपीएन एंड जी), सचिव (योजना आयोग) और सचिव (कृषि) सहित सचिवों की एक समिति का गठन उन विभिन्न मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए किया गया है जोकि एनआईपी-2012 के कार्यान्वयन के दौरान सामने आएंगे।

समान माल ढुलाई नीति

             डीओएफ ने 17 जुलाई, 2008 की अधिसूचना के माध्यम से 1 अप्रैल, 2008 से देश के सभी हिस्सों, विशेष रूप से देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एकसमान भाड़ा नीति (यूएफपी) की घोषणा की | संयंत्र/बंदरगाह से ब्लॉक/जिले तक यूरिया के परिवहन के लिए यूरिया इकाईयों को भाड़ा राजसहायता का भुगतान किया जाता है।

  • टैरिफ आयोग की सिफारिशों के आधार पर, वर्ष 2008-09 के लिए 500 किलोमीटर तक प्राथमिक सड़क संचलन के संबंध में स्लैब-वार दरों की अधिसूचना दिनांक 17.6.2015 द्वारा अधिसूचित किया गया था। उक्त दरों को उर्वरक विभाग द्वारा वार्षिक रूप से बढ़ाया/घटाया जाता है।

             दिनांक 1 सितंबर, 2011 की अधिसूचना के तहत, उर्वरक विभाग ने अनलोडिंग रेक पॉइंट से रिटेल पॉइंट तक उर्वरकों के द्वितीयक संचलन के मामले में टैरिफ आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर वर्ष 2007-08, 2008-09 और 2009-10 के लिए मानक प्रति टन प्रति किलोमीटर परिवहन दर जारी की थी। उर्वरकों के द्वितीयक संचलन के मामले में सड़क परिवहन के लिए प्रति टन प्रति किलोमीटर (पीटीपीके) वृद्धि /कमी  उर्वरक विभाग द्वारा वार्षिक रूप से अधिसूचित की  जाती है।

  • इसके बाद, उर्वरक विभाग द्वारा समय-समय पर प्राथमिक और द्वितीयक संचलन के लिए भाड़ा दरों को अधिसूचित किया गया है।