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उर्वरक उद्योग समन्वय समिति संलग्न कार्यालय

उर्वरक उद्योग समन्‍वय समिति उर्वरक विभाग के अधीन एक संबद्ध कार्यालय है और इसके प्रमुख कार्यकारी निदेशक हैं ।

पृष्ठभूमि

 प्रतिधारण मूल्‍य-सह-राजसहायता योजना (आरपीएस) ने देश में स्‍वदेशी उत्‍पादन और उनकी खपत को प्रोत्‍साहित किया। व्‍यापक आंतरिक दक्षता तथा वैश्विक प्रतिस्‍पर्धा प्राप्‍त करने के लिए आरपीएस के इकाई विशिष्‍ट दृष्टिकोण के स्‍थान पर 1 अप्रैल, 2003 से समूह आधारित रियायत योजना लागू की गई थी, जिसे नई मूल्‍य-निर्धारण योजना (एनपीएस) कहा जाता है। उर्वरक विभाग के अधीन उर्वरक उद्योग समन्‍वय समिति एक संबद्ध कार्यालय है, जिसका गठन मूलरूप से प्रतिधारण मूल्‍य-सह-राजसहायता योजना को प्रशासित और संचालित करने के लिए 1 दिसम्‍बर, 1977 को किया गया था। तत्‍पश्‍चात् एनपीएस के अंतर्गत रियायत योजना को चलाने के लिए 13 मार्च, 2003 को इसका पुन: गठन किया गया है। 

समिति का गठन  

समिति में निम्‍नलिखित शामिल हैं:

उउसस के अध्यक्ष सचिव (उर्वरक) हैं

सदस्यगण

(1) सचिव, औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग

(2) सचिव, कृषि  और सहकारिता विभाग

(3) सचिव,व्यय विभाग

(4) सचिव, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय

(5) अध्यक्ष, प्रशुल्क (टैरिफ) आयोग     

(6) उर्वरक उद्योग से दो प्रतिनिधि 

(7) कार्यकारी निदेशक, उउसस के सदस्य सचिव हैं

उर्वरक उद्योग समन्‍वय समिति का कार्यक्षेत्र और कार्य निम्‍न प्रकार हैं:

1.          नाइट्रोजनयुक्‍त उर्वरक (यूरिया) का उत्‍पादन करने वाली इकाइयों के लिए रियायत दरें निर्धारित करना।

2.          नाइट्रोजनयुक्‍त उर्वरक कंपनियों को राजसहायता का भुगतान करने के संबंध में खातों का रखरखाव।

3.          उर्वरक उत्‍पादन करने वाली इकाइयों का निरीक्षण करना।

4.          लागत और अन्‍य तकनीकी कार्यों को करना।

5.          उत्‍पादन आंकड़ा, लागत तथा अन्‍य सम्‍बंधित सूचना को एकत्र करना तथा विश्‍लेषण करना।

6.          समूह रियायत दरों की समय-समय पर समीक्षा करना तथा इन दरों में जहां-कहीं आवश्‍यक हो, सरकार की पूर्व सहमति से समायोजन करना।

7.          भावी मूल्‍य-निर्धारण अवधियों के लिए समूह रियायत दरों को निर्धारित करने के लिए आवश्‍यक जांच-पड़ताल करना।

8.          उर्वरक इकाइयों के लिए आवश्‍यक निवेश की गणना करना तथा आपूर्ति की सिफारिश करना।

9.        परिवहन सूचकांक के आधार पर भाड़ा राजसहायता दरों में वार्षिक वृद्धि/कमी की सिफारिश करना।    

10.         गैस पूल दर की मासिक/वार्षिक गणना करना ।

11.      पी. एण्ड के. उर्वरक माडयूल पर लाभ की वाजिबता का आकलन ।

12.      प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डी.बी.टी.) प्रणाली के अंतर्गत स्वदेशी उर्वरक हेतु राजसहायता देना ।

13.      समय-समय पर सरकार द्वारा समिति को सौंपे गये अन्‍य कार्य निष्‍पादित करना।

संगठन

उर्वरक उद्योग समन्‍वय समिति के कार्यालय में निम्नलिखित तीन (03) प्रभाग अर्थात् लागत मूल्‍यांकन (सीई) प्रभाग,  वित्‍त एवं लेखा (एफएण्‍डए) प्रभाग और प्रशासन प्रभाग शामिल हैं।

लागत मूल्यांकन प्रभाग के कार्य:-

1.    नई यूरिया नीति  (एन.यू.पी.) 2015 और नई निवेश नीति (एन.आई.पी.) 2012 के तहत सब्सिडी के भुगतान के लिए यूरिया की रियायत दर का निर्धारण ।

2.    पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के दिनांक 20.05.2015 की अधिसूचना के आधार पर उर्वरक क्षेत्र में गैस की पूलिंग की गणना ।

3.    एन.पी.के. उत्पादों के एम.आर.पी. की तर्कसंगतता की जांच ।

4.    अमोनिया फीडस्टाक चेंज ओवर परियोजना से संबंधित योजना ।

5.    परिवहन सूचकांक /समग्र भाड़ा दरों की गणना के आधार पर प्लांट गेट से किसानों तक उर्वरक के परिवहन के लिए भाड़ा दरों में वृद्धि की सिफारिश करने के लिए वार्षिक कार्रवाई करना ।

6.    तकनीकी/गैर तकनीकी कारणों से उत्पादित अमोनिया की बिक्री के लिए राजस्व हिस्सेदारी की गणना ।

7.    वित्तीय वृद्धि के दावे को अंतिम रुप देने से पहले निदेशक / संयुक्त निदेशक द्वारा विभिन्न यूरिया निर्माण इकाइयों का अनिवार्य दौरा ।     

वित्त एवं लेखा प्रभाग के कार्य

1.    देश में यूरिया का निमार्ण करने वाली उर्वरक इकाइयों से भुगतान / वसूली के लिए डी.बी.टी. एवं गैर डी.बी.टी.  सब्सिडी दावों का निपटान।

2.    सब्सिडी खातों का रखरखाव ।

3.    सब्सिडी भुगतान के लिए बजट प्रस्ताव तैयार करना और ऐसे भुगतानों पर हुए व्यय का संकलन

4.    उर्वरक उत्पादन करने वाली इकाइयों का निरीक्षण करना ।

प्रशासन प्रभाग  के कार्य

उर्वरक उद्योग समन्‍वय समिति के प्रशासन और स्‍थापना से संबंधित सभी मामलों के लिए जिम्‍मेदार है।